इन धातुओं का आपको बेहद महीन मैदा के समान चूर्ण करना होगा ।
4.
पुरुषार्थ से जो सुमेरू का चूर्ण करना चाहो तो वो भी हो सकता है।
5.
वही जो विच्छेद करता सम्मोहन खोज लेता है प्रकृति का सम्बन्ध स्थित भी रहता आप में अपने तृप्त त्यागता जो स्वार्थ मनोगत समय के बीत जाने पर नित्य योग-वियोग में अहम् के मिट जाने पर पाता एक नया जन्म कितना कठिन चूर्ण करना अपना मद जीवों में वह हाथी मिलना कठिन कोई विरला फिर त्यागता वह रस जो कोई ऐसा ही अविनाशी ।